गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

नये साल के जश्‍न पर मस्‍ती ही मस्‍ती और यादें भी.......

     नये साल के स्‍वागत के लिए जोर-शोर से हर तरफ तैयारियां चल रही हैं। अब मात्र दो दिन शेष बचे हैं। प्रदेश के हर हिस्‍से में जश्‍न की खुमारी अभी से चढ़ने लगी है। आम आदमी अपने जीवन के रोजमर्रा के कामकाज निपटाते हुए नये साल के वेलकम का इंतजार कर रहा है, तो उद्योगपति, राजनेता और अफसर अपने अपने तरीकों से नया साल मानने की तैयारियों में जुटे हैं। मंत्रालय समेत कई विभागों के अफसर पसंदीदा स्‍थानों पर छुट्टी लेकर पहुंच गये हैं तथा राज्‍य के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी नये साल की शुरूआत मंदिरों में दर्शनों से करेंगे। बाजारवाद ने मप्र को भी नये साल के जश्‍न की तैयारियों में डुबो रखा है। प्रदेश के विभिन्‍न होटलों में बड़ी-बड़ी प‍ार्टियों के आयोजनों की तैयारियां चल रही है। इस बार होटलों में लेजर शो, ग्राउण्‍ड पार्टी, म्‍यूजीकल शो, थीम डांस, लाइट बैण्‍ड म्‍यूजिक, रूफटॉप पार्टी, डीजे आरकेस्‍ट्रा और डांस फलोर सहित आदि का आयोजन होना है यानि हर तरफ नये साल में धूम-धडाका और पार्टियां होगी, होटलों ने नये-नये ऑफर दिये हैं। आधुनिकता के बदलते दौर में पार्टियों में जाम न हो, तो फिर किस बात की खुशियां। बदलते ट्रेंड ने पुरूषों के साथ-साथ अब स्त्रियों को भी ऐसे ट्रेंड का हिस्‍सा बना लिया हैं। ऐसा भी नहीं है कि राज्‍य का हर व्‍यक्ति पार्टियों के जरिए ही नये साल की खुशी मनायेगा, बल्कि सबके अपने-अपने नये साल के खुशियां मानने के तरीके होंगे। बड़ी संख्‍या में नौजवान इस बार समाज सेवा करके नये साल का अगाज करेंगे। यह प्रेरणा उन्‍हें समाजसेवी अन्‍ना हजारे से मिली है। आलम यह है कि राज्‍य के पर्यटन स्‍थलों के होटल एवं रेस्‍टहाउस पूरी तरह से बुक है, यहां तक कि 30 दिसंबर से 02 जनवरी तक मध्‍यप्रदेश से गुजरने वाली ट्रेनों में रिजर्वेशन भी नहीं मिल रहे हैं। न्‍यू ईयर पर इस बार एसएमएस पर भी बधाईयों का सिलसिला जमकर चलेगा। मध्‍यप्रदेश में नये साल की प्रतीक्षा हर वर्ग को होती है, क्‍योंकि हम नई चुनौतियों का सामना करने को तैयार रहते हैं, नये सपनों और इरादों के साथ मैदान में उतरते भी हैं। 
2011 की यादें अमिट रहेगी : 
     वर्ष 2011 मध्‍यप्रदेश वासियों के लिए हमेशा याद रहेगा। ऐसी घटनाएं भी हुई जिसे भूल पाना संभव नहीं, तो कुछ यादें ऐसी हैं, जो कि हमेशा- हमेशा ईर्द-गिर्द ही रहेगी। राज्‍य को नई तस्‍वीर का आकार देने वाले राजनेता हमसे दूर चले गये, जिन्‍हें भूल पाना संभव नहीं है। भाजपा सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने अपना दायरा बढ़ाने में कोई कौर-कसर नहीं छोड़ी। 13 फरवरी, 2011 को केंद्र के खिलाफ भोपाल में उपवास पर बैठे तो 05 अक्‍टूबर, 2011 को 'बेटी बचाओ अभियान' का शंखनाद किया, तो वही नवंबर, 2011 में विधानसभा में अविश्‍वास प्रस्‍ताव का सामना भी किया। यही साल भाजपा के लिए कांग्रेस चुनौतियों के रूप में सामने आई और कांग्रेस ने भी कोई कौर-कसर नहीं छोड़ी। इसी वर्ष कांग्रेस को नया मुखिया कांतिलाल भूरिया मिला तो विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में अजय सिंह सामने आये। सिंह ने तो अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाकर अपनी राजनीतिक छबि में इजाफा ही किया है। वही अपराधियों की पौवारा रही, सबसे ज्‍यादा अपराध बच्‍चों और महिलाओं के क्षेत्र में हुए। 02 जुलाई, 2011 को ग्‍वालियर संभाग में चिट फंड कंपनियों का मामला सामने आया, अब सीबीआई इसकी जांच कर रही है। आरटीआई कार्यकर्ता शेहला मसूद की हत्‍या आज भी रहस्‍यमय बनी हुई है। वर्ष 2011 की जनगणना ने प्रदेश के लिंगानुपात की स्थिति और चिंताजनक सामने ला दी है। पिछली जनसंख्‍या की तुलना में इस बार लिंगानुपात 932 से गिरकर 912 रह गया। इसमें मुरैना की स्थिति सबसे शर्मनाक है, जहां 1000 लड़को पर मात्र 825 लडकियां हैं। आदिवासी बाहुल्‍य इलाका एवं नक्‍सल प्रभावित इलाका बालाघाट ने तो एक नई मिशाल पैदा की जहां पर 1000:1021 अनुपात में है। मप्र में धीरे-धीरे फिल्‍मों का निर्माण होना एक सुखद संकेत है, क्‍योंकि राज्‍य में फिल्‍मों की शूटिंग के लिए अद्यभुत स्‍थान है, जिनका अभी तक उपयोग नहीं हो रहा था। फिल्‍मकार प्रकाश झा ने राजनीति के बाद आरक्षण फिल्‍म बनाई। हमेशा टाईगर स्‍टेट का तंमगा लगाकर घूमने वाला मध्‍यप्रदेश को 28 मार्च 2011 को उस समय झटका लगा जब जनगणना में मप्र में बाघों की संख्‍या 295 से घटकर 257 रह गई। वही 10 नवंबर 2011 को पन्‍ना में सबसे बड़ा हीरा भी मिला। 
 अब सिर्फ यादें बांकी : 
  • 04 मार्च, 2011 को राजनीतिक के आधुनिक चाणक्‍य अर्जुन सिंह का निधन  
  • 30 जून, 2011 को इंदौर में पदश्री शालनी ताई का निधन  
  • 22 सितंबर, 2011 को क्रिकेट के पूर्व कप्‍तान एवं भोपाल रियासत के अंतिम नबाव मंसूद अली खान पटौदी का निधन   
  • 06 अक्‍टूबर, 2011 को एस0सी0वर्मा ने छत से कूद कर आत्‍महत्‍या की 
ये घटनाएं हमेशा याद रहेगी : 
  • 01 फरवरी, 2011 प्रदेश में रेल दुर्घटना में छत पर सवार 12 लोगों की मौत हुई  
  • 17 जुलाई, 2011 को नदी में फोटो खिचवते समय 4 लोग पानी में बह गये 
  • 01 अगस्‍त, 2011 को रायसेन जिले की बारना नदी में बस बही 21 लोगों    की मौत हुई  
  • 21 अगस्‍त, 2011 बड़वानी जिले के सेंधवा नाके पर बस यात्रियों को जिंदा जलाया, 12 यात्रियों की मौत हुई 
  • 12 नवंबर 2011 मंदसौर की चंबल नदी में नाव पलटने से 13 लोगों की मौत हुई  
  • 03 दिसंबर, 2011 को गैस त्रासदी की बरसी पर पुलिस और पीडि़त आमने सामने आये, लांठी चार्ज हुई और लोग घायल हुए। 
सुखद पहलू भी यादगार : 
     मध्‍यप्रदेश में बीता साल 2011 कई ऐसे सुखद पहलूओं के लिए भी याद किया जायेगा जिसमें विकास की नई संभावनाओं को जन्‍म दिया है। इसी वर्ष आईटी कंपनी इंफोसिस एवं टीसीएस इंदौर में अपना कारोबार शुरू कर रही है, साहूकारों पर नकेल कसने के लिए कानून बनाया, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर हिन्‍दी विवि की स्‍थापना हुई। निजी विश्‍वविद्यालयों को खोलने का सि‍लसिला तेज हुआ, नये विभागों का गठन हुआ, किसानों को राहत देने के लिए केंद्र की राशि का इंतजार किये बिना राज्‍य के खजाने से पैसा बंटा गया। साल के जाते-जाते 33 आईएएस अधिकारियों की बदला-बदली हुई। यानि मप्र में विकास के रास्‍ते तो खुले हैं अब चुनौतियों भी कम नहीं हैं। 
                             '' मध्‍यप्रदेश की जय हो''
                

बुधवार, 28 दिसंबर 2011

अब फिर याद आई गांव की पंगडंडियों की .......

             वोट की खातिर नेताओं का पलटना तो सामान्‍य बात है, लेकिन राजनीतिक दल भी अगर जब-तब अपना रूख परिवर्तित करने लगे तो उनकी सोच पर तरस आने के अलावा कुछ नहीं बचता है। यही आलम आजकल भाजपा के साथ बन गया है। मप्र विधानसभा चुनाव में दो साल का सफर बाकी है और अब फिर से भाजपा को गांव की पंगडंडियां और किसानों के दुख-दर्द याद आने लगे हैं। किसानों को जोड़ने के लिए बलराम यात्रा का कार्यक्रम बन गया है, तो पार्टी गांव के माध्‍यम से मतदान केंद्र तक पहुंचने की योजना पर मुहर 26-27 दिसंबर,2011 को हुई भाजपा कार्यसमिति की बैठक में लग गई है। वैसे भी भाजपा गांव की बातें तो खूब करती है, लेकिन गांव के विकास पर जोर अभी तक दिया नहीं गया है। अब भाजपा की मंशा है कि एक माह तक पार्टी के सारे पदाधिकारी गांव में सक्रिय होंगे और ग्राम केंद्र को मजबूत करेंगे। अब मंडल का गठन विधानसभा क्षेत्र के आधार पर किया जायेगा। भाजपा गांव में अपना आधार मजबूत करने की दिशा में बढ़ रही है। गांव-गांव का मास्‍टर प्‍लान बनाने की योजना वर्षो से चल रही इस पर अभी अमल नहीं हुआ है। किसान प्राक़तिक प्रक्रोप की मार से परेशान है ही अब खाद, बीज और पानी तथा बिजली को लेकर रोज पीडा से टूट रहा है, लेकिन उसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। वर्षों बाद किसान सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहा है। भाजपा ने 16 जनवरी से 21 जनवरी, 2012 तक बलराम यात्रा निकालने का एलान कर दिया है। 10 हजार बाइक सवार 50 हजार गांवों में जायेगे। प्रत्‍येक गांव में सात-सात कमल मित्र बनाये जायेगें। किसानों को बताया जायेगा कि उन्‍हें एक प्रतिशत ब्‍याज दर पर कैसे कर्ज मिल रहा है, पांच लाख मैट्रिक टन गेहूं की खरीदी हुई, केंद्र भाजपा विरोधी है। मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर लगातार लोगों से बातचीत कर रहे हैं। गांव में रात्रि विश्राम भी करते हैं पर उनके इस अभियान पर नौकरशाह नहीं चल पा रहे हैं और न ही कोई मंत्री और विधायक उसका पालन कर रहा है इसके चलते गांव-गांव में भारी नाराजगी है। इस गुस्‍से का सामना करने के लिए भाजपा को तैयार रहना चाहिए। यह अच्‍छा है कि कांग्रेस अभी तक गांव-गांव में नहीं पहुंची है, जब दस्‍तक देगी तो टकराव होना स्‍वाभाविक है। यह सही है कि मध्‍यप्रदेश के गांव-गांव में विकास ने दस्‍तक तो दी है, लेकिन जिस तरह से विकास होना चाहिए उसमें अभी वर्षों लग जायेगे, क्‍योंकि पंचायती राज को अभी भी ताकतवार नहीं बनाया जा रहा है जिसके चलते एक भ्रष्‍ट तत्‍व ने भी पैर जमा लिये हैं। मनरेगा जैसी योजना होने के बाद भी अगर गांव-गांव से लोग पलायन कर रहे हैं, तो फिर अंदाज लगाया जा सकता है कि गांव में चल रही सरकारी योजनाओं का क्‍या परिणाम मिल रहा होगा। गरीबी, अशिक्षा, अन्‍याय, शोषण और कालाबाजारी का सामना आम गांव का किसान कर रहा है। इसमें सभी शामिल हैं और एक नई राह के इंतजार में है कि कोई तो आयेगा और गांव के विकास में नई राह दिखायेगा।

अब हिन्‍दी पर जोर : 
        राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ ने हमेशा से हिन्‍दी को राष्‍ट्र भाषा बनाने पर जोर दिया है। मप्र की भाजपा सरकार हिन्‍दी में सरकारी काम कराने पर बल देती रही है। वर्षों बाद संघ के पूर्व प्रमुख सुदर्शन की सलाह पर अटल बिहारी वाजपेयी हिन्‍दी विश्‍वविद्यालय स्‍थापित होने जा रहा है। यह विवि जनवरी 2012 तक प्रारंभ हो जायेगा। भाजपा कार्यसमिति की बैठक में भी हिन्‍दी के बढावा देने पर विचार हुआ और 27 दिसंबर को हुई सभा में भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष नितिन गडकरी ने अटल बिहारी वाजपेयी विवि की स्‍थापना पर शिवराज सरकार की प्रशंसा करते हुए सलाह दी कि जिस तरह से हिन्‍दी के माध्‍यम से मप्र सरकार ने विश्‍वविद्यालयीन शिक्षा देने का काम किया है उसी तरह से न्‍याय व्‍यवस्‍था में भी हिन्‍दी का अमल जरूरी है, ताकि गरीबों को समुचित न्‍याय मिल सके और न्‍यायालयीन भाषा को समझ सकें। मुख्‍यमंत्री भी मानते हैं कि हिन्‍दी को दबाने का षड़यंत्र चल रहा है। कुल मिलाकर हिन्‍दी के विकास पर अचानक सरकार सक्रिय हो गई है। संघ परिवार यही तो चाहता है।

अब फिर याद आई गांव की पंगडंडियों की .......

      वोट की खातिर नेताओं का पलटना तो सामान्‍य बात है, लेकिन राजनीतिक दल भी अगर जब-तब अपना रूख परिवर्तित करने लगे तो उनकी सोच पर तरस आने के अलावा कुछ नहीं बचता है। यही आलम आजकल भाजपा के साथ बन गया है। मप्र विधानसभा चुनाव में दो साल का सफर बाकी है और अब फिर से भाजपा को गांव की पंगडंडियां और किसानों के दुख-दर्द याद आने लगे हैं। किसानों को जोड़ने के लिए बलराम यात्रा का कार्यक्रम बन गया है, तो पार्टी गांव के माध्‍यम से मतदान केंद्र तक पहुंचने की योजना पर मुहर 26-27 दिसंबर,2011 को हुई भाजपा कार्यसमिति की बैठक में लग गई है। वैसे भी भाजपा गांव की बातें तो खूब करती है, लेकिन गांव के विकास पर जोर अभी तक दिया नहीं गया है। अब भाजपा की मंशा है कि एक माह तक पार्टी के सारे पदाधिकारी गांव में सक्रिय होंगे और ग्राम केंद्र को मजबूत करेंगे। अब मंडल का गठन विधानसभा क्षेत्र के आधार पर किया जायेगा। भाजपा गांव में अपना आधार मजबूत करने की दिशा में बढ़ रही है। गांव-गांव का मास्‍टर प्‍लान बनाने की योजना वर्षो से चल रही इस पर अभी अमल नहीं हुआ है। किसान प्राक़तिक प्रक्रोप की मार से परेशान है ही अब खाद, बीज और पानी तथा बिजली को लेकर रोज पीडा से टूट रहा है, लेकिन उसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। वर्षों बाद किसान सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहा है। भाजपा ने 16 जनवरी से 21 जनवरी, 2012 तक बलराम यात्रा निकालने का एलान कर दिया है। 10 हजार बाइक सवार 50 हजार गांवों में जायेगे। प्रत्‍येक गांव में सात-सात कमल मित्र बनाये जायेगें। किसानों को बताया जायेगा कि उन्‍हें एक प्रतिशत ब्‍याज दर पर कैसे कर्ज मिल रहा है, पांच लाख मैट्रिक टन गेहूं की खरीदी हुई, केंद्र भाजपा विरोधी है। मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर लगातार लोगों से बातचीत कर रहे हैं। गांव में रात्रि विश्राम भी करते हैं पर उनके इस अभियान पर नौकरशाह नहीं चल पा रहे हैं और न ही कोई मंत्री और विधायक उसका पालन कर रहा है इसके चलते गांव-गांव में भारी नाराजगी है। इस गुस्‍से का सामना करने के लिए भाजपा को तैयार रहना चाहिए। यह अच्‍छा है कि कांग्रेस अभी तक गांव-गांव में नहीं पहुंची है, जब दस्‍तक देगी तो टकराव होना स्‍वाभाविक है। यह सही है कि मध्‍यप्रदेश के गांव-गांव में विकास ने दस्‍तक तो दी है, लेकिन जिस तरह से विकास होना चाहिए उसमें अभी वर्षों लग जायेगे, क्‍योंकि पंचायती राज को अभी भी ताकतवार नहीं बनाया जा रहा है जिसके चलते एक भ्रष्‍ट तत्‍व ने भी पैर जमा लिये हैं। मनरेगा जैसी योजना होने के बाद भी अगर गांव-गांव से लोग पलायन कर रहे हैं, तो फिर अंदाज लगाया जा सकता है कि गांव में चल रही सरकारी योजनाओं का क्‍या परिणाम मिल रहा होगा। गरीबी, अशिक्षा, अन्‍याय, शोषण और कालाबाजारी का सामना आम गांव का किसान कर रहा है। इसमें सभी शामिल हैं और एक नई राह के इंतजार में है कि कोई तो आयेगा और गांव के विकास में नई राह दिखायेगा।
अब हिन्‍दी पर जोर : 
        राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ ने हमेशा से हिन्‍दी को राष्‍ट्र भाषा बनाने पर जोर दिया है। मप्र की भाजपा सरकार हिन्‍दी में सरकारी काम कराने पर बल देती रही है। वर्षों बाद संघ के पूर्व प्रमुख सुदर्शन की सलाह पर अटल बिहारी वाजपेयी हिन्‍दी विश्‍वविद्यालय स्‍थापित होने जा रहा है। यह विवि जनवरी 2012 तक प्रारंभ हो जायेगा। भाजपा कार्यसमिति की बैठक में भी हिन्‍दी के बढावा देने पर विचार हुआ और 27 दिसंबर को हुई सभा में भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष नितिन गडकरी ने अटल बिहारी वाजपेयी विवि की स्‍थापना पर शिवराज सरकार की प्रशंसा करते हुए सलाह दी कि जिस तरह से हिन्‍दी के माध्‍यम से मप्र सरकार ने विश्‍वविद्यालयीन शिक्षा देने का काम किया है उसी तरह से न्‍याय व्‍यवस्‍था में भी हिन्‍दी का अमल जरूरी है, ताकि गरीबों को समुचित न्‍याय मिल सके और न्‍यायालयीन भाषा को समझ सकें। मुख्‍यमंत्री भी मानते हैं कि हिन्‍दी को दबाने का षड़यंत्र चल रहा है। कुल मिलाकर हिन्‍दी के विकास पर अचानक सरकार सक्रिय हो गई है। संघ परिवार यही तो चाहता है।

शनिवार, 24 दिसंबर 2011

चुनावी जंग से पहले ही कांग्रेस और भाजपा में वाकयुद्व


        अभी मध्‍यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में करीब दो साल का समय बाकी है, लेकिन ऐसा लग रहा है कि भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने अभी से राज्‍य में चुनावी जमीन तलाशनी शुरू कर दी है। इसी कड़ी में भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के बीच वाकयद्व जंग का आकार लेता जा रहा है। राजनैतिक प्रेक्षकों का आंकलन है कि इस बार का चुनाव व्‍यक्तिगत आरोप- प्रत्‍यारोप पर फोकस होगा। इसके संकेत समय-समय पर राजनीतिक दलों के बयानों से मिलने लगे हैं। भाजपा सरकार अभी तक फीलगुड महसूस कर रही थी, लेकिन नवंबर महीने में विधानसभा में कांग्रेस के आक्रमक तेवर देखकर भाजपा भी बचाव की मुद्रा में अभी से आने लगी है। कांग्रेस ने भाजपा सरकार के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाकर यह मंशा जाहिर कर दी है कि भविष्‍य में सरकार की कलई और खोली जायेगी। राजनीतिक दलों के एक-दूसरे पर तीर छोड़ने का सिलसिला भाजपा और कांग्रेस की तरफ से साथ-साथ चल रहा है। भाजपा की ओर से प्रदेशाध्‍यक्ष प्रभात झा ने लगातार कांग्रेस पर तीखे प्रहार शुरू कर दिये हैं, जबकि मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तो शुरू से ही केंद्र सरकार को कोसने का काम कर रहे हैं, ऐसा कोई दिन नहीं गुजरता है, जब चौहान केंद्र सरकार के खिलाफ तीखी नाराजगी जाहिर न करते हो। मुख्‍यमंत्री तो बार-बार कह रहे हैं कि मप्र के साथ केंद्र सरकार भेदभाव कर रही है, इसके खिलाफ विपक्ष को भी केंद्र के समक्ष साथ चलना चाहिए। पर विपक्ष इस संबंध में कोई राय जाहिर नहीं कर रहा है, बल्कि विपक्ष के नेता अजय सिंह ने तो एक कदम आगे जाकर केंद्र सरकार को राज्‍य की खामियों को लेकर अलग-अलग ज्ञापन सौंप डाले हैं। अजय सिंह ने पिछले दिनों केंद्रीय मंत्रियों को ज्ञापन सौंपकर राज्‍य में हो रहे खनिज घोटालों एवं मनरेगा में हो रही अनियमितताओं की जांच की मांग कर डाली है, तो शेहला मसूद एवं जोशी हत्‍याकांड की जांच में चल रही धीमी गति पर भी सवाल खड़े किये है। यह पहली बार है कि कांग्रेस विधायक दल के नेता के साथ करीब दो दर्जन से अधिक विधायकों ने भी दिल्‍ली में डेरा डाला और केंद्र सरकार के समक्ष अपनी नाराजगी जाहिर की। यही वजह है कि केंद्रीय पंचायत एवं ग्रामीण मंत्री जयराम रमेश अब जनवरी माह में प्रदेश की यात्रा पर आ रहे हैं। इससे भाजपा बौखुला गई है और भाजपा प्रदेशाध्‍यक्ष प्रभात झा ने यहा तक कह डाला है कि नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह प्रदेश के विकास को रोक रहे हैं। कांग्रेस मैदानी लड़ाई लडने में असफल रही है, तो अब तिकड़म और औछी राजनीति पर उतर आये हैं। झा ने अफसोस जाहिर किया कि कांग्रेस विधायक दल का केंद्र सरकार यह अनुरोध करना कि विकास की राशि दो साल तक रोक दी जाये, तो इससे साफ जाहिर है कि प्रदेश की सात करोड़ जनता के साथ केंद्र सरकार ना-इंसाफी की जा रही है। इससे साफ जाहिर है कि भाजपा को कांग्रेस के आरोपों से भीतर ही भीतर घबराहट शुरू हो गई है। कांग्रेस कह रही है कि हम तो भाजपा सरकार के खिलाफ अभियान चलाये हुए है अगर सरकार को ज्‍यादा तकलीफ है तो हम जो आरोप लगा रहे हैं उसकी वह जांच करा ले। प्रदेश में अभी फिलहाल चुनावी माहौल नहीं बना है, लेकिन राजनैतिक दल धीरे-धीरे प्रदेश में एक-दूसरे के खिलाफ आरोप लगाकर चुनाव की जमीन तो तलाश कर ही रहे हैं अब इसका लाभ किसको मिलेगा यह तो भविष्‍य ही बतायेगा। 
निर्णय - भोपाल में शौर्य स्‍मारक एक वर्ष में बनेगा : 
      देश में प्राण न्‍यौछावर करने वाले वीरो की स्‍म़ति में भोपाल में शौर्य स्‍मारक बनाया जा रहा है यह एक वर्ष में बनकर तैयार हो जायेगा। इस पर कार्य शुरू हो गया है। सेना भी इस पर नजर रखे हुई है। सीएम ने एलान किया है कि यह स्‍मारक एक वर्ष में बन जायेगा। 
राजनीति - वर्षों बाद अटल जी की होर्डिंग : 
      मध्‍यप्रदेश में वर्षों बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की होर्डिंग स्‍थान-स्‍थान पर लगाये गये हैं। अटल जी का 25 तारीख को जन्‍मदिन है। इसी दिन मध्‍यप्रदेश सरकार सुशासन दिवस भी मना रही है जिस पर शपथ दिलाई जायेगी।

शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011

न्‍याय मांगने पर पंचायत में महिला का मुंडन

            भले ही महिला सशक्तिकरण के कितने ही दावे किये जाये पर महिलाओं को आज भी न्‍याय मांगने के लिए भारी मशक्‍कत करनी पड़ रही है, तब भी न्‍याय नहीं मिल पा रहा है। दुख:द पहलू तो यह है कि मध्‍यप्रदेश में महिलाओं पर अत्‍याचार का ग्राफ दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है, पर विरोध करनी वाली महिला नेत्रियां मौन है और जो एनजीओ महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने के लिए बड़े-बड़े सम्‍मेलन करता है वह भी महिलाएं न्‍याय से वंचित हैं। 3 दिसंबर, 2011 को मध्‍यप्रदेश के छिन्‍दवाड़ा जिले में एक ऐसी घटना हुई है, जिसमें दलित महिला के साथ परिवार के ही एक सदस्‍य ने बलात्‍कार किया, जब महिला ने न्‍याय मांगने के लिए समाज की पंचायत में दस्‍तक दी, तो पंचायत ने महिला का मुण्‍डन ही करा दिया। अब यह महिला पुलिस की शरण में पहुंची है। इस पूरे मामले में सातफेरे लेकर महिला को घर लाने वाला पति मूकदर्शक बना हुआ है। दलित परिवार की महिला ने अपनी पीड़ा का इजहार करते हुए पुलिस को बताया कि 03 दिसंबर को उसका पति चिन्‍टू उईके मजदूरी करने के लिए घर से बाहर गया हुआ था, तभी उसका जेठ दीना घर आया और अपने कमरे में खाना देने को कहा, जब खाना देने पहुंची तो दीना ने दुष्‍कर्म किया और धमकी दी कि अगर यह बात किसी को बताई तो जान से मार देंगे। महिला ने सबसे पहले घटना अपने पति को बताई, लेकिन उसने चुप्‍पी साध ली। इसके बाद समाज की पंचायत के सामने यह मामला पहुंचा पर यहां भी महिला को कोई न्‍याय नहीं मिला, बल्कि उसका भरी समाज में नाई को बुलाकर दलित महिला का मुण्‍डन करा दिया गया। अब यह महिला पुलिस की शरण में आई है और पुलिस ने भी मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इस घटना से साफ जाहिर हो गया है कि महिलाएं घर में भी सुरक्षित नहीं है और जब पति ही रक्षा नहीं कर रहा है तो फिर किससे उम्‍मीद की जाये। वैसे भी हाल ही में केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट आई उसमें भी मध्‍यप्रदेश में महिलाओं पर सबसे ज्‍यादा अत्‍याचार की घटनाएं सामने आ रही हैं। इसके बाद भी अगर जागरूक महिलाएं नहीं जागे, तो फिर क्‍या होगा, यह तो भगवान ही जाने। 
सार्थक कदम : 
     नेत्रहीन टीचर से रिश्‍वत लेती महिला एकाउण्‍टेंट गिरफ्तार : लोकायुक्‍त पुलिस इंदौर ने नेत्रहीन टीचर रामाधार सेन ने अपने चार वर्षीय बेटे की किडनी के खातिर उधर लिये दो लाख रूपये चुकाने हेतु जीपीएफ खाते का आवेदन जिला शिक्षा अधिकारी को सौंपा था पर बार-बार चक्‍कर लगाने के बाद भी पैसे मंजूर नहीं हो रहे थे, क्‍योंकि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में तैनात महिला एकाउण्‍टेंट पुष्‍पा ठाकुर रिश्‍वत की मांग कर रही थी। इस नेत्रहीन शिक्षक ने लोकायुक्‍त पुलिस को बताया और पुलिस ने अंतत: महिला एकाउण्‍टेंट को गिरफ्तार कर लिया। 
दु:खद घटना : 
        सूदखोरी को लेकर पति और पत्‍नी ने जहर खाया : भले ही राज्‍य सरकार ने सूदखोरी पर सख्‍त कानून बना दिया है, लेकिन फिर भी प्रदेश के कई जिलों में सूदखोरी अभी भी यथावत चल रही है। मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विदिशा जिले में सूदखोरी से परेशान होकर 22 दिसंबर को पति-पत्‍नी ने जहर खा लिया, पति प्रकाश चौकसे की मौत हो गई है और पत्‍नी अभी मौत से जूझ रही है। इस परिवार ने पान की दुकान चलाने के लिए माइक्रो फाईनेंस कंपनी से 60 हजार रूपये सूद से लिये थे, जो कि वह चुका नहीं पा रहा था। सूदखोर आये दिन उसे परेशान करते थे और मारपीट भी करते थे, जिससे परेशान होकर उसने अपनी जीवन लीला समाप्‍त कर ली। 
बेहतर निर्णय : 
      अब मनरेगा में मजदूरों को मजदूरी के भुगतान के लिए ज्‍यादा नहीं भटकना पड़ेगा। मध्‍यप्रदेश सरकार ने मजदूरी का हिसाब-किताब कागजों की बजाय इलेक्‍ट्रॉनिक मस्‍टरोल के जरिए करने का निर्णय लिया है। इससे मजदूरों के भुगतान की प्रक्रिया में बहुत कम समय लगेगा। यानि मनरेगा में अब ई-मस्‍टरोल लागू हो गया है। 
 

गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

शो पीस बनकर रह गई मध्‍यप्रदेश में जनपद पंचायतें



      e/;izns'k esa f=Lrjh; iapk;r jkt dh egRoiw.kZ dM+h tuin iapk;rsa izns'k esa ek= 'kks ihl cudj jg xbZ gSa] u rks buds ikl ctV gS] u dke Lohd`r djus dk vf/kdkjA blds vykok vk; dk Hkh dksbZ L=ksr ugha gSA ,slh fLFkfr esa tuin v/;{kksa us rks bu iapk;rksa dks Hkax djus rd dh xqgkj yxkbZ gSA अब जनपद पंचायत के सीईओ भी अपने आपको असु‍रक्षित मानने लगे हैं और सुरक्षा की मांग भी करने लगे हैं यानि जनपद पंचायत के प्रतिनिधि और अधिकारी सभी असहाय हो गये हैं और पंचायत राज का मुख्‍य अंग जनपद पंचायत भी अधिकार विहीन होकर शो पीस हो गई है।
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बुधवार, 21 दिसंबर 2011

दौरे करने से क्‍यों कतराते शिव सरकार के मंत्री




              यह समझ से परे है कि मध्‍यप्रदेश की भाजपा सरकार के मंत्रीगण अपने प्रभार के जिलों में दौरा करने से क्‍या कतराते है। बार-बार मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ताकीद करते हैं कि वह जिलों का दौरा कर लोगों से संवाद करें और योजनाओं का फीड बैक लें। इसके बाद भी मंत्रीगण अपने प्रभार के जिलों में जा नहीं रहे हैं। अब तो मुख्‍यमंत्री ने आधा दर्जन से अधिक मंत्रियों को प्रभार का जिला भी पसंदीदा दिया है, लेकिन मंत्री हैं कि उनके निर्देश का पालन करने को तैयार नहीं है। मंत्रियों के दौरे को लेकर पहली बार बातें नहीं हो रही है, बल्कि वर्ष 2011 गुजरने में अब मात्र 10 दिन बाकी है, मगर सालभर में कई बार मुख्‍यमंत्री ने मंत्रियों को दौरे करने पर जोर दिया, पर मंत्री हैं कि सुनते हीं नहीं है। यहां तक कि भाजपा कार्यसमिति में भी कई बार यह बात उठ चुकी है कि मंत्री प्रभार के जिलों में नहीं जाते हैं। भाजपा के प्रदेश प्रभारी अनंत कुमार, राष्‍ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल, प्रदेशाध्‍यक्ष प्रभात झा भी मंत्रियों को लताड़ चुके हैं कि वे दौरा करें, लेकिन तब भी मंत्री दौरा पर नहीं निकल रहे हैं। अब तो सीएम ने 20 दिसंबर को मंत्रि परिषद की औपचारिक बैठक में यह तक कह दिया कि अफसर उन्‍हें प्रभार के जिले में सीएम की तरह ही तवज्‍जो देंगे। मंत्रियों से कहा गया है कि वे मासिक रिपोर्ट अपने दौरे की दें और उन्‍हें जो ज्ञापन मिलेंगे उसकी समीक्षा के लिए एक एडीशनल कलेक्‍टर को पाबंद किया जायेगा, ताकि जब अगली बार मंत्री जी जाये तो उन्‍हें पिछले दौरे के अमल की स्थिति का पता लग सके। आश्‍चर्यजनक किन्‍तु यह सत्‍य है कि मप्र सरकार के मंत्रियों पर उनकी कार्यशैली पर समय-समय सवाल उठते रहते हैं पूरी सरकार के मंत्रियों में दो या तीन मंत्री राजधानी में सक्रिय नजर आते हैं, जो कि नियमित तौर पर मंत्रालय में जाकर फाइले निपटाते हैं, जबकि मंत्रियों को निर्देश हैं कि वे दो दिन मंत्रालय को दें, लेकिन तब भी मंत्री मंत्रालय कम आते हैं और सारी फाइले बंगले पर बुलवाते हैं। आश्‍चर्यजनक तथ्‍य यह है कि मंत्री मंत्रालय नजर आते नहीं है तथा प्रभार के जिलों में पहुंचते नहीं है, अपने विधानसभा क्षेत्र में दिखते नहीं है, भोपाल में बंगले पर मिलते नहीं है, तब यह मंत्री आखिरकार जाते कहा है, यह सवाल आम भाजपा का कार्यकर्ता भी समय-समय पर करता रहता है। मंत्री हैं कि अपने अंदाज में काम कर रहे हैं। हाल ही में विधानसभा सत्र के दौरान विधानसभा में आये अविश्‍वास प्रस्‍ताव के दौरान विपक्ष के नेता अजय सिंह ने आधा दर्जन मंत्रियों पर तीखे आरोप लगाये है, जिसमें नागेंद्र सिंह, उमाशंकर गुप्‍ता, गौरीशंकर बिसेन, राजेंद्र शुल्‍क आदि शामिल हैं, वही दूसरी ओर लोकायुक्‍त पीपी नावलेकर भी बार-बार कह रहे हैं कि वे 13 मंत्रियों के शिकायत की जांच कर रहे है, जबकि विपक्ष आरोप लगा रहा है कि मंत्रियों की जांच लोकायुक्‍त में नहीं हो पा रही है। कुल मिलाकर शिवराज सरकार के मंत्रियों की भूमिका पर निशाने साधे जा रहे हैं। इस बीच ही मंत्रि परिषद विस्‍तार की हवा भी बह रही है। अब देखे आगे क्‍या होगा यह तो भविष्‍य ही बतायेगा, लेकिन शिवराज सरकार के मंत्रियों को अपनी कार्यशैली सुधारने की आवश्‍यकता तो संगठन और सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान चाहते हैं, लेकिन इसके लिए मंत्री कितने तैयार है यह भी तो मालूम नहीं । 
पहल-वर्ष 2016 में दौड़ेगी मेट्रो : 
मध्‍यप्रदेशवासियों के लिए एक अच्‍छी खबर है कि अब भोपाल और इंदौर में मेट्रो ट्रेन चलने की संभावनाओं ने एक सिंगनल और पार कर लिया। वर्ष 2016 तक भोपाल और इंदौर में मेट्रो दौडने लगेगी। दोनों शहरों के लिए डीपीआर बनाने के लिए सहमति हो गई है। इस पर आठ हजार करोड खर्च आयेगा। 
निर्णय - पांच नक्‍सलियों को उम्र कैद : 
मध्‍यप्रदेश में पहली बार पांच साल पहले 11 जनवरी, 2007 को भोपाल में पकड़ी गई नक्‍सलियों की अवैध फैक्‍टरी के पांच आरोपियों को 20 दिसंबर 2011 को भोपाल अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई है। 
सार्थक कदम - अटलजी की याद : 
 भाजपा सरकार 25 दिसंबर, 2011 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्‍म दिन सुशासन दिवस के रूप में मानयेगी। हर सरकारी दफतर में उनका फोटो लगेगा। इस साल मध्‍यप्रदेश में कोई भी नई शराब की दुकान नहीं खुलेगी। 
विरोध - अवैध खदान का मामला दिल्‍ली पहुंचा : 
अंतत: मप्र विधानसभा में विपक्ष के नेता अजय सिंह ने अवैध उत्‍खनन की शिकायत दिल्‍ली में केंद्रीय खनन मंत्री से की है और जांच की मांग की है। मध्‍यप्रदेश सरकार भी संभाग स्‍तर पर जांच करा रही है। 

शनिवार, 17 दिसंबर 2011

शराब पी तो लगेगा 100 रूपये जुर्माना


          भले ही अन्‍ना हजारे अपने गांव में शराब छुडाने के लिए शराबियों को पेड से बांधकर  कौडे मारकर शराब छुडाते हैं, लेकिन मध्‍यप्रदेश के गांव में रहने वाली महिलाओं ने शराब छुडाने के लिए अनूंठा प्रयोग करके साबित कर दिया कि वह भी शराब छुडाने में सफल हो सकती हैं। राज्‍य का पिछडा इलाका विंध्‍य के सतना जिले की पंचायत मताहा में महिला सरपंच प्रभा राव ने ग्रामीणों की नशे की लत से परेशान होकर ग्राम सभा में निर्णय लिया कि अगर कोई गांव का वासी शराब पीकर इधर-उधर घूमता पाया गया तो उस पर 100 रूपये का जुर्माना लगाया जायेगा। यह निर्णय 26 जनवरी 2011 को ग्रामसभा में लिया गया, जिसमें प्रस्‍ताव पारित कर शराब पीने वालों पर 100 रूपये टैक्‍स वसूलने का फरमान जारी हुआ। इसका असर यह हुआ कि अब गांव में लोगों ने शराब पीकर घूमना-फिरना बंद कर दिया है, क्‍योंकि पंचायत ने पांच महिलाओं का समूह बनाया है, जो कि हर दिन चौकस रहती है कि कौन पुरूष शराब पीकर गांव में आया है और उससे जुर्माना वसूला जाये। अभी तक पंचायत ने 3 हजार रूपये जमा कर लिये हैं इस अभियान से प्रसन्‍न महिला सरपंच प्रभा राव कहती हैं कि यह अभियान इसलिए शुरू किया गया कि गांव में एक दिन एक शराबी ने तहसीलदार के सामने मुझे अपमानित किया, तभी हमने तय कर लिया था कि अब अगर गांव में कोई शराबी मिला तो उस पर कार्यवाही होगी। इस अभियान से यह भी फायदा हुआ कि गांव में अब कोई शराब पीकर गदर नहीं करता है। सतना जिले के कलेक्‍टर सुखवीर सिंह भी इस मुहिम को आगे बढा रहे हैं और उनकी पहल पर पांच पंचायतों ने अभियान को रंग दिया है। सिंह कहते हैं कि शराबियों से टैक्‍स वसूलने का पंचायत ने सही निर्णय लिया है। महिलाओं का यह सार्थक कदम है।
नौजवानों का संकल्‍प : 
      दूसरी ओर मुरैना जिले के एक गांव में शराब पीकर नौ लोगों ने आत्‍महत्‍या कर ली, तब गांव के नौजवानों ने तय किया कि अब गांव में कोई शराब नहीं पियेगा। इस संकल्‍प का असर यह हुआ कि गांव के लोगों ने धीरे-धीरे शराब से तौबा कर ली है, जबकि इस गांव का हर पुरूष शराब पीता था, लेकिन नौजवानों की मुहिम रंग लाई और लोगों ने शराब से तौबा कर लिया।   

  
नई शराब दुकान नहीं खोलने का इरादा :
      राज्‍य की भाजपा सरकार ने तय किया है कि वर्ष 2011-12 में अब कोई नई शराब की दुकान नहीं खोली जायेगी। वैसे तो प्रदेश में शराब का व्‍यवसाय लगातार बढ रहा है। शराब के कारण अपराध भी बढे हैं। कई जगह शराब ने सामाजिक ताने-बाने को छिन्‍न-भिन्‍न्‍ा किया है, तो शराब की खातिर पिछले दिनों अलीराजपुर में एक पिता को उसकी बेटी ने कुल्‍हाडी मारकर उसकी हत्‍या कर दी थी, क्‍योंकि पिता बार-बार शराब पीने के‍ लिए बेटी से पैसा मांग रहा था, जबकि बेटी गुजरात के एक गांव में मेहनत मजदूरी करके पैसा लाई थी। इसी प्रकार एक नौजवान ने भोपाल में अपनी पत्‍नी की हत्‍या इसलिए कर दी कि वह उसे शराब पीने से रोकती थी। ऐसी एक नहीं अनगिनत घटनाएं हो रही है, इन घटनाओं पर समाजशास्त्रियों को आंकलन करना चाहिए। 

                                                    '' जय हो मध्‍यप्रदेश की ''

शुक्रवार, 16 दिसंबर 2011

थम नहीं रही है मध्‍यप्रदेश में बिजली चोरी



     मध्‍यप्रदेश में बिजली चोरी थमने का नाम नहीं ले रही है। चोरी रोकने के लिए कई प्रयास किये गये पर वे कारगर नहीं हो रहे हैं। यही वजह है कि बिजली चोरों के हौसले लगातार बढते जा रहे हैं। चोरी रोकने के लिए थाने खोलने की योजना थी और उस पर अभी तक अमल नहीं हो पाया है। fctyh pksjh yxkrkj c<+rh gh tk jgh gS blds pyrs dbZ txg fctyh ladV cuk gqvk gSA ckj&ckj ljdkj fctyh pksjh jksdus ds nkos fd;s tk jgs gSa] ysfdu fctyh pksjh ds ekeys yxkrkj c<+rs gh tk jgs gSaA vkxkeh fo/kkulHkk pqukoksa ds en~nsutj 2013 rd izns'k dk xkao&xkao jks'ku djus dh dok;n esa tqVh jkT; ljdkj dh yk[k dksf'k'kksa ds ckotwn fctyh pksjh ugha jksd ik jgh gSA pksjh ds yxkrkj c<+rs ekeyksa dh la[;k crkrh gS fd ljdkj ds ikl bls jksdus dh dksbZ Bksl j.kuhfr ;k dk;Z;kstuk ugha gSA gkykafd QhMj lsijs'ku ds ckn fctyh pksjh esa deh vkus dh mEehn ljdkj dks gS] ysfdu bl dke dks iwjk gksus esa vHkh iwjs nks lky dk le; gSA b/kj fctyh pksjh ls gks jgs uqdlku dh HkjikbZ djuk ljdkj dks eqf'dy Hkh gks jgk gSA bl ?kkVs dks iwjk djus ds fy, dbZ ckj bZekunkj miHkksDrkvksa ij Hkh xkt fxjrh gSA izns'k dh rhuksa fo|qr forj.k daifu;ksa us vDVwcj eghus rd iwjs izns'k esa 2 yk[k 18 gtkj 976 mPp nko ,oa fuEu nkc fctyh dusD'kuksa dh tkap dh FkhA blesa ls 46 gtkj 829 fctyh dusD'kuksa esa xM+cM+h ikbZ xbZ vkSj buds f[kykQ pksjh ds izdj.k ntZ fd, x,A bu izdj.kksa ls 22 djksM+ 91 yk[k 65 gtkj :i, dh jktLo olwyh  daifu;ksa us dhA bl nkSjku fo'ks"k U;k;ky;ksa esa 16 gtkj 84 fctyh pksjh ;k vfu;ferrk ds izdj.k Hkh izLrqr fd, x,A
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रविवार, 11 दिसंबर 2011

मध्‍यप्रदेश में थम नहीं रहा है ड्रग ट्रायल का गौरखधंधा


       दुखद पहलू यह है कि राज्‍य में आम इंसानों पर ही ड्रग ट्रायल आज भी किया जा रहा है। इस गौरखधंधे को रोकने के लिए राज्‍य सरकार ने कई स्‍तर पर प्रयास किये लेकिन फिर भी ckj&ckj Mªx Vªk;y dk xkSj[k/ka/kk mtkxj gks jgk gS] ysfdu dM+h dk;Zokgh ds u gksus ds pyrs fpfdRld yxkrkj vius Qk;ns ds fy, balkuksa ij Mªx Vªk;y dj jgs gSaA Hkys gh bankSj dk ekeyk mtkxj gksus ds ckn jkT; ljdkj us bl iwjs ekeys dks xaHkhjrk ls fy;k हो] ysfdu fQj Hkh Mªx Vªk;y ds ekeys lkeus vk jgs gSaA fiNys o"kZ 2010 esa bankSj esa ljdkjh vLirky esa Mªx Vªk;y dk ekeyk mtkxj gksus ij tedj gaxkek epkA fo/kkulHkk esa foi{k us gk;&rkSck epkbZA jkT; ljdkj us tkap ds fy, lfefr xfBr की tkap fjiksVZ us viuk izfrosnu rS;kj dj fy;k gS] ysfdu vHkh lkSaik ugha gSA ;kfu ekeys ds rg rd rks igqap xbZ gS ljdkj ysfdu mu fpfdRldksa ij dksbZ dk;Zokgh vHkh rd ugha dh gS] ftUgksaus Mªx Vªk;y ds fy, balkuksa dk mi;ksx fd;k vkSj ;g flyflyk yxkrkj tkjh gSA blls lkQ tkfgj gS fd ,d cM+k fxjksg dgh u dgh vkt Hkh Mªx Vªk;y esa lfØ; gSA izns'k esa fooknkLin Mªx Vªk;y ds ekeys dks ysdj fu;e cukus jkT; ljdkj }kjk xfBr lfefr us vafre izfrosnu rS;kj dj fy;k gSA bl fjiksVZ ds fglkc ls izns'k esa Mªx Vªk;y dh vuqefr rks gksxh] ysfdu l'krZ vc fdlh esMhdy dkWyst ds foHkkxk/;{k ;k vU; dksbZ fpfdRld lh/ks ejhtksa ij fdlh nokbZ dk ijh{k.k ugha dj ldsaxsA blds fy, mUgsa dkWyst ds Mhu ls igys vuqefr ysuk gksxkA lfefr ds izfrosnu ds fglkc ls izns'k esa Mªx Vªk;y ij iw.kZ izfrca/k ugha yx ldsxk] ysfdu mls vf/kd fu;af=r fd;k tk,xkA lkFk gh ,sls ekeyksa esa vf/kdre ikjnf'kZrk j[kus ds Hkh iz;kl gksaxsA Vªk;y djus ls igys ejht vkSj mlds ifjtuksa dks fpfdRldksa }kjk ;g crkuk gksxk fd os fdlh nokbZ dk ijh{k.k dj jgs gSa] mlds D;k nq"ifj.kke gks ldrs gSaaA vHkh rd Mªx Vªk;y ds ekeykas esa ejhtksa ls lgefr i= vaxzsth esa Hkjok;k tkrk Fkk] blls ejhtksa dks gh le> ugha vkrk Fkk fd mlls dkSu ls dkxt ij gLrk{kj djk fy;s x;s gSaA ;gka rd fd fpfdRld ejht dks ekSf[kd crkus dh t:jr rd ugha le>rs FksA dkuwuh nko&isap ls cpus ds fy, lgefr i= vo'; Hkjk fy;k tkrk FkkA fygktk vc lfefr us flQkfj'k dh gS fd lgefr i= ejhtksa ls fgUnh esa Hkjok;k tk,xkA Dyhfudy Mªx Vªk;y dk ekeyk dsanz ljdkj dk fo"k; gSA iwjs ns'k esa dsanz ljdkj dk gh dkuwu ykxw gksrk gSA ,sls esa fdlh jkT; dks Mªx Vªk;y ij iw.kZ cafn'k yxkus dk vf/kdkj ugha gSA gka fdlh ifjfLFkfr ds dkj.k vLFkk;h izfrca/k vo'; yxk;k tk ldrk gSA izns'k esa Hkh yxHkx lkyHkj ls Mªx Vªk;y ij vLFkk;h rkSj ij izfrca/k yxk gSA egkjktk ;'koar jko ¼,eok;½ esMhdy dkWyst bankSj] xka/kh esMhdy dkWyst ¼th,elh½ Hkksiky] Hkksiky eseksfj;y gkfLiVy ,oa fjlpZ lsaVj ¼ch,e,pvkjlh½ Hkksiky esa Mªx Vªk;y ds ekeys vkSj muls ejhtksa dh ekSr dks ysdj fo/kkulHkk esa tedj gaxkes dh fLFkfr fiNys o"kZ cuh FkhA rc jkT; ljdkj us bl laca/k esa fu;e cukus ds fy, izeq[k lfpo fpfdRlk f'k{kk foHkkx dh v/;{krk esa desVh cukbZ FkhA bl desVh esa lfpo fof/k foHkkx] Mh,ebZ] fu;a=d [kk| ,oa vkS"kf/k iz'kklu] MkW- ,uvkj HkaMkjh vkSj chlh Nijoky dks 'kkfey fd;k x;k FkkA
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शनिवार, 10 दिसंबर 2011

मध्‍यप्रदेश के दिग्‍गज नेता अब यूपी के चुनावी समर में आमने-सामने



              देखिए राजनीति किस तरह से करवट बदलती है इसका प्रमाण उत्‍तर प्रदेश की चुनावी सरजमी है। जहां पर मध्‍यप्रदेश के दो दिग्‍गज करीब आठ साल बाद फिर एक दूसरे पर राजनीतिक तीरों से निशाने साध रहे हैं। राजनीति के खिलाडी और मप्र के पूर्व मुख्‍यमंत्री दिग्विजय सिंह और उमा भारती इन दिनों यूपी के चुनावी समर में मतदाताओं को लुभाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं। साधवी उमा भारती तो लगातार यूपी में समय दे रही है, उनकी भाजपा में वापसी के बाद से वे यात्राओं के जरिए कार्यकर्ताओं को नया करंट देने में लगी हुई हैं। दिग्विजय और उमा के बीच चुनावी जंग वर्ष 2001 से 2003 के बीच मप्र में जबर्दस्‍त रही है। उमा भारती ने ही अपने तीखे बयानों और आक्रमक हमलों से दिग्विजय सिंह का दस वर्ष का राजकाज चुनावी जंग में नेस्‍तनाबूद कर दिया था और दिग्विजय सिंह हैट्रिक नहीं बना पाये थे। उमा के नेत़त्‍व में ही भाजपा ने मप्र की सत्‍ता एक दशक बाद हथियाई थी। यह भी सच है कि उमा भारती को छ: माह बाद ही प्रदेश से विदा होना पडा था पर दिग्विजय सिंह से उनका आमना-सामना समय - समय पर होता रहा, वह भी माध्‍यम बयान ही थे। अब तो यूपी चुनावी राजनीति में दिग्विजय और उमा एकबार फिर से आमने-सामने आ गये हैं। दोनों राजनेताओं के कद के लिए यूपी चुनाव बहुत अहम भूमिका अदा करेंगा। उमा भारती अगर एक बार फिर से यूपी में भाजपा का इरादा बुलंद करती है तो उन्‍हें मप्र की राजनीति में फिर से हस्‍तक्षेप करने का मौका मिल जायेगा और अगर कांग्रेस का ग्राफ बढता है तो दिग्विजय सिंह दस जनपथ में और ताकतवर हो जायेगे। अभी भी कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी और उनके बीच खासी निकटता है, लेकिन फिर भी दिग्विजय सिंह का कद यह चुनाव करेगा। कुल मिलाकर उप्र की राजनीति एक बार फिर मप्र के दो राजनेताओं का भविष्‍य तय करने जा रही है और इसके लिए हमको छ: महीने और इंतजार करना पडेगा।दिग्विजय और उमा अपने अपने मोर्चे पर तैनात हो गये हैं तथा बयानों के जरिये, राजनीतिक हमले भी हो रहे हैं। 
लोक सेवा गारंटी कानून : धीमे-धीमे रफतार पकड नहीं पा रहा है - 
       एक साल का सफर तय कर चुका लोक सेवा प्रदाय गारंटी अधिनियम मध्‍यप्रदेश में धीरे-धीरे अपनी रफतार पकड नहीं पा रहा है। अभी भी मैदानी स्‍तर पर आम जनता और जनप्रतिनिधियों को इसकी जानकारी नहीं है। लोक सेवा प्रबंधन विभाग के सर्वे में भी यह बात सामने आई है कि 72 फीसदी लोगों और जन प्रतिन‍िधियों को इस कानून की जानकारी नहीं है। महज 1.8 फीसदी लोगों को ही कानून की जानकारी है, जबकि सेवाएं नहीं मिलने पर की जाने वाली अपील के बारे में 82 फीसदी लोगों को जानकारी नहीं है और करीब 50 फीसदी लोगों को पावती भी नहीं मिल रही है। मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा इस अधिनियम के जरिए भ्रष्‍टाचार पर अंकुश लगाना है, लेकिन जब अधिनियम ही धीमी रफतार से चल रहा है, तो फिर तेज चले भ्रष्‍टाचार पर कैसे लग पायेगा अंकुश। 
                                                     '' जय हो मध्‍यप्रदेश की ''  

शुक्रवार, 9 दिसंबर 2011

दोहरे शतक का रिकार्ड मध्‍यप्रदेश की सरजमी पर

      

            किक्रेट प्रेमियों के लिए 08 दिसंबर, 2011 ऐतिहासिक दिन रहा है इस दिन किक्रेट के सम्राट वीरेंद्र सहवाग ने मध्‍यप्रदेश की सरजमी पर दोहरा शतक लगाकर किक्रेट की दुनिया में तो धूम मचा ही दी है,लेकिन मध्‍यप्रदेशवासियों के लिए यह गौरवशाली इतिहास बन गया है इससे पहले मास्‍टर ब्‍लास्‍टर सचिन तेंदुलकर ने मध्‍यप्रदेश के ही ऐतिहासिक नगर ग्‍वालियर में 24 फरवरी 2010 में दोहरा शतक लगाकर बनाया था और तब से उन्‍हें किक्रेट का भगवान कहा जाने लगा। अमूमन मप्र ने किक्रेट के क्षेत्र में अपना नाम रोशन किया है। यहां से निकले अच्‍छे खिलाडियों ने देश में धूम मचाई है। भोपाल के नबाव पटौदी तो भारतीय किक्रेट टीम के कप्‍तान रह चुके है, तो राहुल द्रविड इंदौर से है। इसी के साथ ही कई और खिलाडी भी सक्रिय हैं। मध्‍यप्रदेश की भूमि पर एक साल बाद खेले गये किक्रेट मैच ने न सिर्फ दुनिया में राज्‍य का नाम रोशन किया है,बल्कि किक्रेट के इतिहास में भी दर्ज हो गई है दोहरी शतक। सचिन ने पिछले साल ग्‍वालियर में 200 रनों का शिखर छुआ था, तो सहवाग ने इंदौर में खेले गये ओडीए मैच में 149 गेंद पर ताबडतोड 219 रन ठोक दिये जिसमें उन्‍होंने 25 चौके और 07 छक्‍कों की मदद से किक्रेट जगत का रिकार्ड तोड दिया,जबकि सचिन ने ग्‍वालियर में 147 गेंद पर 200 रन बनाये जिसमें 25 चौके और 03 छक्‍के लगाये थे। यह मैच निश्चित रूप से उत्‍साह और उमंग से भर गया था। देशभर में तो खुशियां मनाई ही गई,लेकिन मध्‍यप्रदेश में शाम को जगह-जगह फटाके फोडे गये और मिठाईयां बांटी गई, इस खुशी में हर आदमी सहभागी था, क्‍योंकि किक्रेट के वन डे मैच के इतिहास के दोनों दोहरे शतक देश के दिल मध्‍यप्रदेश की धरती पर बने। किक्रेट विशेषज्ञ और दैनिक भास्‍कर स्‍टेट हैड अभिलाष खाण्‍डेकर ने इंदौर में मैच देखने के बाद लिखी अपनी टिप्‍पणी में खिला है कि नफजगढ के सुल्‍तान के रोमांचक और उत्‍साह से भरे दोहरे शतक ने इतिहास रच दिया। भीड भरे होल्‍कर स्‍टेडियम में उन्‍होंने आंद्रे रसेल की गेंद को थर्ड मैन बॉउण्‍ड्री की ओर खेला और मप्र में पिछले साल बने सचिन तेंदुलकर के रिकार्ड को मिटा दिया। सचिन ने इंदौर से करीब 600 किमी दूर स्थित ग्‍वालियर में पिछले साल एक दिवसीय किक्रेट मैच में पहला दोहरा शतक लगाया था। सचिन ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ ठीक 200 नाबाद रन बनाये थे। सीके नायडू के नेत़त्‍व वाली होल्‍कर टीम के दबदबे वाली टीम ने सहवाग को और आगे बढाया है। सहवाग के बल्‍ले ने किसी मशीन की तरह तकरीबन प्रत्‍येक गेंद पर रन उबले। उन्‍हें अपनी कप्‍तानी पारी में भींड भरे स्‍टेडियम का कोई कौना ऐसा नहीं छोड जहां गेंद नहीं गई हो। 
         निश्चित रूप से मप्र की सरजमी पर किक्रेट का रिकार्ड बनाना अपने आप में राज्‍यवासियों के लिए गौरव का क्षण है। हर इंसान के दिल में खुशी की बयार है,क्‍योंकि इंदौर में सहवाग का दोहरा शतक देश के दिल मध्‍यप्रदेश की धरती पर बना है। 
                          '' जय हो मध्‍यप्रदेश की ''
                        

गुरुवार, 8 दिसंबर 2011

बार-बार रोने को विवश है मध्‍यप्रदेश का किसान


          बार-बार यह कहा जाता है कि मप्र का किसान अपनी क़षि की उत्‍पादन क्षमता बढाने में कोई रूचि नहीं लेता है। यही वजह है कि आज भी किसान के हालात जस के तस हैं,लेकिन अब धीरे-धीरे राज्‍य के किसानों के नजरिये में बदलाव आ रहा है।
लगातार अपने खेतों पर नजर गडाये रखने वाले किसानों के लिए खाद आवश्‍यक सामग्री हो गई है और जब खाद नहीं मिल रही है तो किसान सडक पर जमीनी संघर्ष करने पर भी मजबूर है। खाद का संकट हर साल पैदा होता है। मप्र सरकार इसके लिए केंद्र को दोषी ठहराती है, जबकि असलियत यह है कि खाद आज भी मुस्लिम कंट्री से आती है और इसके आने की प्रक्रिया में लंबा समय लगता है। दिल्‍ली से मप्र के शहरों तक खाद पहुंचने में एक महीने का समय लग जाता है और तब तक किसान बेकाबू होने लगता है। इन दिनों मप्र का किसान खाद संकट से परेशान है। अब तक 81 लाख हैक्‍टेयर क्षेत्रफल में रबी फसलों की बौनी का काम हो चुका है, इसमें गेहूं का रकबा 28 लाख हैक्‍टेयर को पार कर चुका है। मप्र को नवंबर, 2011 तक 2.34 लाख टन यूरिया मिल चुका है,लेकिन अभी भी 1.36 लाख टन यूरिया की कमी है। यूरिया की कमी के चलते विदिशा,सतना,दतिया,बैतूल,पिपरिया, ग्‍वालियर, रायसेन, छिंदवाडा, गुना आदि शहरों में खाद का गंभीर संकट बना हुआ है। किसान सडक पर उतरकर चक्‍का जाम कर रहे है, खाद कार्यालयों पर हमला बोल रहे है, जिसके चलते कई स्‍थानों पर पुलिस की देखरेख में खाद का वितरण हो रहा है। खाद न होने को लेकर राजनीति भी जमकर हो रही है, कांग्रेस सिर्फ बयानबाजी कर रही है और भाजपा केंद्र पर आरोप मढ रही है। मप्र में पिछले दो-तीन सालों से अलग-अलग संगठन काम कर रहे हैं और किसानों में जागरूकता का प्रतिशत बढा है। इसके चलते किसान अब अपनी बुनियादी आवश्‍यकताओं के लिए चुप बैठने वाला नहीं है। यही वजह है कि पिछले वर्ष दिसंबर 2010 में किसानों ने मप्र की राजधानी भोपाल को जाम कर दिया था। यह करिश्‍मा भी भारतीय किसान संघ ने किया था। इससे साफ जाहिर है कि किसानों की नाराजगी का प्रतिशत लगातार बढता ही जा रहा है। इसका लाभ कोई भी उठा सकता है। किसान अभी भी सिर्फ अपनी फसल अच्‍छी पाने के लिए इधर-उधर भटकने के लिए मजबूर है, लेकिन किसानों को राहत नहीं मिल रही बल्कि किसान अपने आपको ठगा महसूस कर रहा है और सोच रहा है कि कब उसके दिनों में परिवर्तन आयेगा अथवा ऐसे ही रोजाना किसी न किसी समस्‍या से जूझने का कूचक्र रचा जाता रहेगा और यह रास्‍ता निराशा की ओर जाता है यही वजह है कि मप्र में किसानों की आत्‍महत्‍या का प्रतिशत हर साल बढ रहा है इस दिशा में न तो सरकार सोच रही है और न ही जागरूक नागरिक। किसानों को नई राह दिखाने पर विचार करने का समय आ गया है। 
हर पांचवा बच्‍चा प्रदेश में अंडर वेट : 
    दिसंबर 2011 के प्रथम सप्‍ताह में नेशनल इंस्‍टीटयूट ऑफ न्‍यूट्रीशियन की रिपोर्ट में मप्र के बच्‍चों को लेकर चौंकाने वाले तथ्‍य सामने आये हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि शिशु म़त्‍युदर में पूरे देश में मध्‍यप्रदेश दूसरे स्‍थान पर है। रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में हर पांचवा बच्‍चा कम वजन का है। राज्‍य सरकार ने मप्र में शिशु म़त्‍युदर के नियंत्रण के लिये संस्‍थागत प्रसव, जननी सुरक्षा योजना, जननी एक्‍सप्रेस योजना चला रखी है,लेकिन तब भी उसके परिणाम बेहतर नहीं मिल पा रहे हैं। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में शिशु म़त्‍युदर 67 प्रति हजार जिंदा बच्‍चों में है। शिशु म़त्‍युदर सबसे कम इंदौर में है, जबलपुर में शिशु म़त्‍युदर बेहतर है यहां पर 50प्रतिशत जिंदा बच्‍चों में है, पन्‍ना की स्थिति सबसे खराब है वहां पर शिशु म़त्‍युदर 86 प्रति हजार जिंदा बच्‍चों में है। निश्चित रूप से यह चौंकाने वाले आंकडे है जिस पर हम सबको विचार करना चाहिए। 
                     '' जय हो मध्‍यप्रदेश की''